ज़ाकिर हुसैन: तबला सम्राट

ज़ाकिर हुसैन: तबला सम्राट और पांच बार के ग्रैमी पुरस्कार विजेता

ज़ाकिर हुसैन, तबला मास्टर और पाँच बार ग्रैमी अवार्ड विजेता, का रविवार को सैन फ्रांसिस्को में इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) के कारण निधन हो गया।

ज़ाकिर हुसैन भारतीय संगीत जगत का वह नाम हैं, जिनका योगदान केवल देश में ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर सराहा गया है। उनका जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता, उस्ताद अल्ला रक्खा, स्वयं एक महान तबला वादक थे। पिता की प्रेरणा और मार्गदर्शन से ज़ाकिर हुसैन ने बहुत छोटी उम्र में तबला सीखना शुरू कर दिया। उन्होंने अपनी साधना और समर्पण से तबला वादन को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।

ज़ाकिर हुसैन को उनके अद्वितीय तबला वादन और संगीत में नवाचार के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को पश्चिमी संगीत के साथ जोड़कर एक नई शैली विकसित की। उनकी ऊर्जा, सटीकता और कला की गहराई ने उन्हें पूरे विश्व में प्रसिद्ध किया।

ज़ाकिर हुसैन को पांच बार ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने "शक्ति" और "प्लानेट ड्रंब" जैसे मशहूर संगीत प्रोजेक्ट्स में काम किया। उनके काम ने भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई। वह न केवल एक महान संगीतकार हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति के सच्चे राजदूत भी हैं।


ज़ाकिर हुसैन को भारत सरकार ने "पद्म श्री" और "पद्म भूषण" जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया है। उनकी संगीत यात्रा आज भी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है। उनकी कला और व्यक्तित्व ने भारतीय संगीत को एक नई दिशा दी है, और वह सदा इसके चमकते सितारे रहेंगे।

ज़ाकिर हुसैन केवल एक तबला वादक नहीं, बल्कि एक ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपने संगीत से सीमाओं को तोड़ते हुए पूरी दुनिया में भारतीय संगीत का डंका बजाया। उनके योगदान को शब्दों में समेट पाना मुश्किल है। वह भारतीय संगीत के गौरव हैं और हमेशा रहेंगे।


ज़ाकिर हुसैन के निधन से संगीत की दुनिया में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है। उनकी याद में संगीत प्रेमी और उनके प्रशंसक श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

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